Thursday, November 21, 2024
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गिद्धों की आबादी और मई २०१४

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वैज्ञानिकों का मानना है कि भारत सरकार द्वारा 2006 में लायी गयी ‘गिद्ध बचाओ योजना’ के काफी अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं | वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले दशक में गिद्धों की आबादी में अत्यधिक बढ़ोत्तरी आयी है और उसका असर मई 2014 के बाद तो काफी दिखा है | जहाँ पहले मरे हुए जानवरो के शव गांव और शहरों में सड़ते रहते थे, वहीँ अब पशु तो पशु, इंसानों के शवों पर भी कई गिद्ध मंडराते दिखते हैं | इस बारे में हमारे संवाददाता ने प्रसिद्द पशु वैज्ञानिक डॉ रमेश श्रीवत्स से विस्तार से बात की | प्रस्तुत है डॉ श्रीवत्स का विस्तृत इंटरव्यू:-

प्रसिद्द पशु वैज्ञानिक डॉ रमेश श्रीवत्स का कहना है कि, “हमने इस परियोजना पर काफी मेहनत की थी, मैंने और मेरे सहायक स्टाफ ने अपना घर परिवार छोड़ कर गिद्ध बचाओ परियोजना पर बहुत काम किया | लेकिन इसके आशातीत परिणाम नहीं दिखने से बहुत हताशा थी |”

“इसके बाद मई २०१४ में मोदी जी की सरकार बनी, हमने सोंचा की अब शायद मोदी जी कुछ सहायता कर सकें | लेकिन जब हम मोदी जी के पास पहुंचे, तो उन्होंने कहा, “मित्रों… आप चिंता न कीजिये | आपकी परियोजना बहुत अच्छे से काम कर रही है | मैंने उसका असर गुजरात में बहुत देखा है | वहां पर गिद्धों की आबादी में काफी बढ़ोत्तरी हुई है और कई बार तो वो मुझ पर भी अटैक कर चुके हैं |”

डॉ श्रीवत्स आगे कहते हैं की उनको इस बात पर कतई विश्वास नहीं हुआ | “लेकिन हम और कर भी क्या सकते थे | मोदी जी से ही जब जवाब मिल गया तो हम हिम्मत हार गए | और उनके ऑफिस से निकलते समय हम सब बस ‘बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले’ गुनगुना रहे थे |”

“लेकिन पिछले कुछ समय से हमने भी महसूस किया है कि उत्तर प्रदेश के दादरी में हो या हैदराबाद के विश्वविद्यालय में, हर जगह जानवर तो जानवर, इंसानों के मरते भी कई गिद्ध वहां जमघट लगा लेते हैं | अब गुजरात तो छोड़िये, यहाँ तक कि दिल्ली जैसे प्रदूषित शहर में भी कल कई गिद्ध देखने को मिले, वैसे मैं मौसम विज्ञानी तो हूँ नहीं लेकिन लगता है की ऑड-इवन से प्रदूषण में 89.512865% की कमी के जो दावे दिल्ली के मुख्यमंत्री ने पिछली फिल्म के रिव्यू वाली प्रेस कांफ्रेंस में किये थे, वो सच हैं |”

“2-3 दिन पहले भोपाल, और कल की दिल्ली की घटना के बाद हमे पूरा विश्वास है की हमारा प्रयास काफी सफल हुआ है|  हमे विश्वास है की भारतीय गिद्धों की सभी ‘सात जातियों’ का संवर्धन और अत्यधिक विस्तार हुआ है| और मेरी
साली द्वारा मुझे चिढ़ाने के लिए मेरा नाम ‘डॉ जटायु’ रखना, और मेरी बीवी का मेरे ध्यान न देने के कारण मेरे रिसर्च स्कॉलर्स के साथ फ़्लर्ट करना, बेकार नहीं गया है |”

लेकिन जैसे ही ये इंटरव्यू समाप्ति की ओर था, डॉ श्रीवत्स का एक चेला भागते भागते आया और बोला, कि “सर मेरा शक सही था, हैदराबाद, दादरी, भोपाल, और दिल्ली, सभी जगह जो गिद्ध देखे गए थे, वो एक ही प्रजाति के हैं | और वो प्रजाति सभी अन्य प्रजातियों को और भी ख़त्म करे दे रही है| और उस प्रजाति का नाम है Gyps secular-insis |”

इतना सुनते ही डॉ श्रीवत्स मूर्छित हो गए और हमारा संवाददाता इंटरव्यू छोड़ कर इस न्यूज़ को नए मसाले के साथ  ब्रेकिंग न्यूज़ की तरह छापने के लिए सीधे हमारे ऑफिस आ गया |

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