जब से यह बात लोगों को पता चली कि बांग्लादेश में हुए आतंकी हमले को अंजाम देने वाले आतंवादी जाकिर नाईक के समर्थक थे तब से सोशल साइट्स पर जाकिर नाईक का हिन्दू विरोधी कामों पर बहुत विरोध हो रहा है | हालाँकि यह विरोध काफी पहले शुरू हो जाना चाहिए था | चलिए, देर आये दुरुस्त आये |
कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह की जाकिर नाईक से मुलाकातों पर भी सवाल उठे | इन सवालों पर दिग्विजय सिंह ने थोड़ी बहुत सफाई भी दी | लेकिन मुझे दिग्विजय सिंह की ओर से ऐसा कोई सन्देश नहीं दिखाई दिया जिस में कि जाकिर नाईक के हिन्दू विरोधी कामों का कोई विरोध किया गया हो | न ही ऐसा कोई बयान मुझे किसी और तथाकथित सेक्युलर नेता की ओर से दिखाई दिया जिसमें कि जाकिर नाईक का जरा सा भी विरोध किया गया हो |
अपने झूठे सेकुलरिज्म के लिए जिन लोगों ने आतंकियों को भी मासूम साबित करने की कोशिश की उनसे वैसे भी मैं ऐसी कोई उम्मीद नहीं कर रहा था कि वो अब जाकिर नाईक का विरोध करेंगे | इशरत जहाँ, बाटला एनकाउंटर, याकूब, अफजल गुरु आदि नाम और सेक्युलर ताकतों द्वारा पैदा किये गए इन से जुड़े विवाद भी आपको याद होंगे ही | लेकिन इस मुद्दे पर फिर भी लिखने का मन किया ताकि एक बार फिर भारत की झूठी सेक्युलर जमात का असली चेहरा सबके सामने ला सकूँ |
केंद्र सरकार ने जाकिर नाईक के अब तक के बयानों की जांच के आदेश दे दिए हैं तथा दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाही करने की भी बात की | लेकिन इन विपक्षी सेक्युलर ताकतों को अब भी समय नहीं मिला इस मुद्दे पर खुलकर बोलने का |
खैर इनकी चुप्पी की वजह और ताकत इस देश की जनता का वो हिस्सा है जो कभी जाति तो कभी धर्म और तो कभी रुपये के नाम पर इनको वोट देकर इनको मजबूत बनाती है | जनता के इस हिस्से को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि जीतने के बाद ये लोग क्या करते हैं और क्या नहीं | बस ये लोग अपनी जाति, धर्म और वोट के बदले मिले रुपये से खुश हैं | इस देश की जनता अब भी नहीं सुधरी तो फिर इस देश के भगवान ही मालिक हैं |