एक तो मुझे यह बात आज तक नहीं समझ आयी कि बात बात पर रोज इस्लाम क्यों खतरे में आ जाता है | कभी वन्दे मातरम बोलने से इस्लाम खतरे में आता है, कभी मंदिरों की घंटियों एवं भजनों की आवाज से इस्लाम खतरे में आ जाता है, कभी महिलाओं के बुरका न पहने से इस्लाम खतरे में आता है, कभी किसी क्रिकेटर की अपनी पत्नी की फोटो सोशल साइट्स पर शेयर करने से आ जाता है, कभी किसी क्रिकेटर के अपने बच्चे के साथ चैस खेलने से इस्लाम खतरे में आता है, तो कभी किसी पढ़े लिखे समझदार मुसलमान द्वारा इस्लाम के इन झूठे ठेकेदारों के खिलाफ बोलने से आ जाता है | ऐसी कई बातें हैं जिनसे इन ठेकेदारों की नजर में आये दिन इस्लाम खतरे में आता रहता है और फिर कभी नए फतवे जारी होते हैं, कभी सोशल साइट्स पर गाली-गलौज होती है तो कभी मुस्लिम समाज से बहिस्कार | आजकल कोई भी न्यूज़ चैनल लगाओ हर दूसरे तीसरे दिन कोई न कोई इस्लाम का स्वघोषित ठेकेदार आपको यह बताता नजर आएगा कि ये बात इस्लाम में हराम है, हम वो नहीं करेंगे क्योंकि वो इस्लाम में हराम है, अगर मुसलमान ने यह सब कर दिया तो हम उसके खिलाफ फतवा निकाल देंगे | अब इस्लाम के इन्ही सब ठेकेदारों का जे डी. यू के मुस्लिम विधायक एवं मंत्री खुर्शीद आलम द्वारा जय श्री राम कहना पसंद नहीं आया और उनके खिलाफ फतवे जारी कर दिए गए, यहाँ तक कि यह धमकी भी दे दी गयी कि उनकी शादी तक की मान्यता ख़त्म कर दी जाएगी |
इस देश की राजनीति में हिन्दू नेता को तभी सेक्युलर माना जाता है जब कि वो मजारों में जाकर सर झुकाये, मुस्लिम त्यौहार टोपी पहन के मनाये, इफ्तार पार्टियां दे और दूसरों द्वारा दी गयी इफ्तार पार्टियों में भी टोपी पहन कर जाए, मुसलमानों की गलत बात को भी सही बोले, हिन्दू धर्म का सम्मान करने वालों को सांप्रदायिक बोले, हिन्दू धर्म की मान्यताओं एवं रीति रिवाज के खिलाफ बोले आदि | लेकिन वहीँ दूसरी ओर केवल वही मुसलमान नेता सेक्युलर माना जाता है जो आतंकवाद के खिलाफ न बोले, हिन्दुओं और हिन्दू देवी देवताओं को सम्मान न दे, हिन्दू त्योहारों में शामिल न हो और किसी भी हिंदुत्ववादी व्यक्ति से मित्रता का व्यवहार न करे, यहाँ तक कि हिन्दू देवी देवताओं और हिन्दुओं को खुले आम गाली गाली देने वाले ओवैसी जैसे नेताओं तक को सेक्युलर माना जाता है | अगर किसी मुसलमान नेता ने गलती से भी हिन्दुओं के पक्ष में कुछ बोल दिया या हिन्दू त्यौहार में शामिल हो गया या हिन्दू देवी देवता के आगे सम्मान में सर झुका दिया तो तुरंत इस्लाम खतरे में आ जाता है, उस नेता से सेक्युलर होने का सर्टिफिकेट छीन लिया जाता है तथा उस नेता के खिलाफ फतवे जारी हो जाते हैं और अन्य मुसलमानों को फतवा जारी हो जाता है कि इस नेता को वोट न दे देना |
आखिर यह दोहरा मापदंड क्यों ? अगर सेक्युलर जमात की सेकुलरिज्म की परिभाषा के अनुसार मुस्लिम नेता हिन्दुओं को, हिन्दू धर्म को और हिन्दू धर्म के देवी देवताओं को सम्मान नहीं दे सकते तो फिर हिन्दू नेता भी मुस्लिम धर्म, मुस्लिम धर्मगुरुओं एवं त्योहारों से दूरी क्यों न बनाएं ? क्यों हिन्दू नेता किसी मुस्लिम त्यौहार की बधाइयाँ दें, क्यों वो मुस्लिम त्योहारों में शामिल हों, क्यों वो टोपी पहनें, क्यों वो मुस्लिमों के हितों की बातें करें ? सेक्युलर होने की जिम्मेदारी सिर्फ हिन्दू नेताओं ने तो नहीं ले रखी है |
जय श्री राम बोलना तो इस देश की तथाकथित सेक्युलर जमात को गाली देने के सामान नजर आता है | हिन्दू नेता जय श्री राम बोल दे तो वो इनकी नजर में सांप्रदायिक हो जाता है और मुसलमान नेता बोल दे तो वो काफिर | यही गन्दी सोच धीरे धीरे सिर्फ इस देश में ही नहीं बल्कि सारी दुनिया में इस्लाम और झूठे सेकुलरिज्म के खिलाफ माहौल बना रही है और इसका नुकसान उन मुसलमानों को भी भोगना पड़ता है जो कि अच्छी सोच रखते हैं तथा अन्य धर्मों का एवं अन्य धर्म के लोगों का भी सम्मान करते हैं |
समय की मांग यही है कि सभी मुसलमान एक होकर इस्लाम के इन तथाकथित ठेकेदारों की बातें सुनना बंद कर दें और इनके फतवे मानने बंद कर दें | कोई भी धर्म नफरत नहीं सिखाता और यदि कोई सिखाता है तो वो धर्म हो ही नहीं सकता | यह बात सभी को समझने की आवश्यकता है | यदि आप दूसरे धर्मों को सम्मान देना इस्लाम के खिलाफ मानेंगे तो यह सन्देश अन्य धर्मों के लोगों में भी जायेगा और नफरत की खायी गहरी ही होती जाएगी और ऐसा समय भी आएगा जब कि अन्य धर्म के लोग भी यह कहकर आपको सम्मान देना बंद कर देंगे कि रिश्ते एकतरफा नहीं होते बल्कि दोनों तरफ से बनाये जाते हैं और यदि आप हमें सम्मान नहीं दे सकते तो हम से भी किसी तरह के सम्मान की उम्मीद न रखें |
( फोटो साभार – www.wildfilmsindia.com )