पिछले काफी समय से हर एक चुनाव के पहले कभी आरक्षण के नाम पर, कभी किसी जातीय हिंसा के नाम पर तो कभी ऊल जलूल ऐतिहासिक घटना के नाम पर हिन्दुओं को आपस में लड़वाने का काम किया जा रहा है | कुछ हद तक उस योजना में अब सफलता भी मिलने लगी है तो अब इसे और भी ज्यादा जोर शोर से चलाया जा रहा है | अब हिन्दुओं के संगठित रहने से किस पार्टी को फायदा होता है और किसे नुकसान यह बात तो सभी को पता ही है और पिछले कई चुनावों में भी इस के सबूत मिले ही हैं | विपक्ष मोदी जी और भाजपा को तब तक नहीं हरा सकता जब तक कि हिन्दू संगठित हैं और विपक्ष हिन्दू विरोधी | पहले सिर्फ हिन्दुओं को आपस में लड़वाने के षड़यंत्र किये गए फिर अचानक से कुछ तथाकथित सेक्युलर नेताओं को यह भी याद आ गया कि वो पैदा हिन्दू परिवार में हुए हैं और इस वजह से वो अब कभी मंदिर जाते हैं, कभी हिन्दू सम्मेलनों के आयोजन में और कभी “जय श्री राम” के जवाब में “जय श्री कृष्ण” अभियान का सहारा लेने की कोशिश करते हैं | कारण सिर्फ यही है कि इनको अब इस सत्य का आभाष हो चुका है कि जहाँ जहाँ हिन्दू संगठित है वहां अब इनकी दाल नहीं गलने वाली | अतः २०१९ के लिए प्लान यही है कि एक तो अपने नए फर्जी हिंदुत्व के जरिये खुद की हिन्दू विरोधी छवि को बदलो और साथ ही हिन्दुओं को आपस में लड़वाकर उनको बांटो |
वैसे तो हिन्दुओं को आपस में लड़वाकर राज करने की परंपरा कोई नयी नहीं है | पहले मुगलों ने ये किया, फिर अंग्रेजों ने और फिर आजादी के बाद सेक्युलर नेताओं ने | अगर पुरानी बात भूलकर २०१४ के बाद की ही राजनीति पर ध्यान दें तो उसमें आपको कई राज्यों में हुए कई अलग अलग आरक्षण के आंदोलन याद आएंगे, सवर्ण-दलित या अगड़ा-पिछड़ा जातीय हिंसा याद आएँगी या फिर भाषाओं के लिए लड़ाई याद आएगी और अब लगभग हर चुनाव के पहले ये सब होते ही हैं | ऐसे आंदोलन और झगड़ों को कोई न कोई गैर-राजनैतिक चेहरा ही शुरू करता है और फिर चुनाव के पहले वो या तो किसी सेक्युलर पार्टी को ज्वाइन कर लेता है या फिर उसको समर्थन की घोषणा कर देता है | २०१४ के तुरंत बाद कुछ समय तक हिन्दू अपनी इस एकता से गौरवान्वित होकर एक थे और जीत के उल्लास में थे तो सेक्युलर जमात को इस सब से उतनी चुनावी सफलता नहीं मिल रही थी | परन्तु पहले बिहार और फिर गुजरात में भाजपा की अपनी कुछ गलतियों की वजह से इनको हिन्दुओं को तोड़ने में सफलता मिली और इनका यह आत्मविश्वाश भी बढ़ा कि इन तरीकों से आज भी चुनाव में सफलता प्राप्त की जा सकती है | महाराष्ट्र में हुई हिंसा भी इसी सब साजिश का ही एक हिस्सा है | अंग्रेजों की जीत के जश्न का यह मूर्खतापूर्ण आयोजन महाराष्ट्र में कई साल से हो रहा था परन्तु पहले हिंसा नहीं होती थी, इसी बार सेक्युलर जमात के एजेंट जिग्नेश मेवानी और उमर खालिद वहां गए और फिर उसके बाद जो कुछ हो रहा है वो तो आपके सामने ही है | भीम आर्मी, हार्दिक पटेल, जिग्नेश, अल्पेश, कन्हैया कुमार, उमर खालिद आदि ऐसे कई चेहरे हैं जिनको सेक्युलर जमात किसी न किसी तरह से अपना हथियार बनाकर इस योजना को पूरा करना चाह रही है | अब हिन्दुओं को आपस में लड़वाकर तोड़ने के इस षड़यंत्र में किस हद तक वो कामयाब होती है यह तो आने वाले चुनावों के नतीजों में ही पता चलेगा |
हिंदुत्व के मुद्दे का दुर्भाग्य यही है कि जनता को यह सिर्फ तब ही याद आता है जबकि हिन्दुओं के खिलाफ कोई बड़ी साजिश हो, या बड़े दंगे हों या फिर हिन्दू धर्म का बहुत ज्यादा अपमान हो | जब ऐसा किसी तथाकथित सेक्युलर सरकार द्वारा किया जाता है तब ही हिन्दू जनता एक होती है और उस सरकार के खिलाफ वोट देती है | परन्तु यदि कोई सेक्युलर सरकार खुलकर हिन्दुओं पर हमला न करे और बस परदे के पीछे से उनके खिलाफ काम करे तब न तो हिंदुत्व की वो लहर दिखाई देती है और न ही हिन्दू एकता तथा हिन्दू जनता वापस अपने जातिवाद में व्यस्त हो जाती है | अगर सभी हिन्दू हमेशा संगठित रहे और जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ रहे तो किसी भी राजनैतिक दल में इतनी हिम्मत नहीं है कि किसी भी तरह से हिन्दुओं का अपमान करे या हिन्दुओं के साथ किसी तरह का भेदभाव या अन्याय करे या फिर उनकी उपेक्षा करे | हमेशा की तरह मैं आज भी सभी हिन्दुओं से यही कहूंगा कि आपस में प्रेम से रहें, किसी के बहकावे या षड़यंत्र का शिकार न बनें और संगठित रहे | काफी समय बाद देश का हिन्दू एक हुआ है, इस एकता को बनाये रखें वरना आपकी आने वाली कई पीढ़ियां आपकी आज की गलतियों का परिणाम भुगतेंगी |
( फोटो साभार – dnaindia.com)