हिन्दू धर्म और इसके इतिहास के बारे में असत्य लेखन एवं फिल्म कथाएं कोई नयी बात नहीं है | कई सालों से इन झूठी कथाओं को हमारे सामने परोसा गया और जब कभी भी इनका विरोध हुआ तो पहले उनका लेखक की काल्पनिक रचनात्मकता के नाम पर बचाव किया गया, फिर कभी कहा गया कि ये पात्र कभी इतिहास में थे ही नहीं तो फिर कभी कहा गया कि ऐसा हमने बस फिल्म या लेखन को रोचक बनाने के लिए प्रयोग किया है और हमारा उद्देश्य किसी का अपमान करना नहीं है | फिल्म और टी. वी. सीरियल की शुरुआत में वैसे भी लिख ही देते हैं कि कहानी काल्पनिक है और इसका किसी जीवित और मृत व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं है | यदि कभी विरोधियों ने इन सभी तर्कों को भी नकार दिया तो इनके द्वारा वही पुराना अभिव्यक्ति की आजादी, असहिष्णुता आदि का विलाप शुरू कर दिया गया | हिन्दू धर्म के रीति रिवाजों और मान्यताओं को गलत बताना, भारतीय इतिहास के किसी क्रूर विदेशी लुटेरे शासक को हीरो और हमारे देश के असली हीरो को अपराधी या कायर बनाकर दिखाना सिर्फ लेखक की काल्पनिकता मात्रा नहीं बल्कि हिन्दू धर्म एवं हिन्दू इतिहास के खिलाफ एक सोची समझी साजिश है | और जो लोग इस झूठ को काल्पनिक रचनात्मकता मानकर मनोरंजन के लिए पैसे देकर खरीदते हैं पढ़ते हैं या देखते हैं उनको मैं सिर्फ मूर्ख ही कहूंगा |
गौरवशाली सुनहरे भारतीय हिन्दू इतिहास एवं धर्म को हमारे सेक्युलर राजनैतिक तंत्र ने देश की शिक्षा व्यवस्था में या तो स्थान दिया ही नहीं या फिर इतना सीमित स्थान दिया कि आने वाली पीढ़ियाँ उस इतिहास का असली सत्य जान ही न पाएं | आजाद भारत में यह एक हिन्दू विरोधी साजिश का प्रथम कदम था | अगला कदम लिया तथाकथित इतिहासकार लेखकों ने और उन्होंने अपने लेखन में जनता के इस आधे अधूरे ज्ञान का फायदा उठाते हुए उसमें असत्य लिखना शुरू किया और धीरे धीरे हिन्दू धर्म एवं इसके इतिहास को ऐसे दिखाना शुरू किया जैसे कि इसमें गर्व करने जैसा कुछ है ही नहीं | अगला कदम था फिल्म और टी. वी. सीरियल इंडस्ट्री का | उन्होंने इस झूठे लेखन पर फिल्म और सीरियल बनाने शुरू किये ताकि असत्य का प्रचार एक बड़े स्तर पर हो सके | आम तौर पर इतिहास की किताबें पढ़ने के शौकीन कम ही होते हैं परन्तु आजकल टी. वी. और फिल्में लगभग हर इंसान ही देख लेता है अतः इस तीसरे कदम का दायरा बहुत बड़ा है | इस असत्य लेखन का प्रचार प्रसार सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि इस के बाहर भी किया गया ताकि यह झूठा इतिहास सत्य बनाकर सबको बताया जा सके | आजादी के बाद सेक्युलर जमात द्वारा जो ये साजिश की गयी वो कोई नयी साजिश नहीं थी बल्कि इसे मुगलों और अंग्रेजों द्वारा सफलतापूर्वक उपयोग में पहले ही लाया जा चुका था | इसका साजिश का मुख्य उद्देश्य यही था कि किसी भी तरह हिन्दुओं को अपने धर्म, संस्कृति और गौरव से दूर करो क्योंकि जब तक ये लोग अपने धर्म और संस्कृति से जुड़े रहे और उस पर गर्व करते रहे तब तक न तो इनको गुलाम बनाकर रखा जा सकेगा और न ही इनका धर्म परिवर्तन कराकर इनको अपने जैसा बनाया जा सकेगा |
इस कड़ी में कई तरह के झूठ फैलाये गए | कुछ विषयों पर हमने पहले भी लेख लिखे हैं | जैसे कि शूद्र वर्ण का इतिहास | हमें जो इतिहास पढ़ाया जाता है उसके अनुसार शूद्र हमेशा से हिन्दू धर्म में अछूत माने जाते थे परन्तु यह असत्य है | हिन्दू धर्म में छुआछूत उंच नीच जैसी सामाजिक बीमारी कभी नहीं थी | यह सब मुगलों के समय शुरू हुआ | इसी तरह बाल विवाह, पर्दा प्रथा, सती प्रथा आदि भी मुगलों के समय हिन्दुओं को अपनी महिलाओं की सुरक्षा के लिए मजबूरी में शुरू करनी पड़ी लेकिन इनको आज इस तरह दिखाया जाता है जैसे कि ये कुप्रथाएं हिन्दू धर्म में हमेशा से थीं | ऐसे विषयों पर लिखे हमारे ये दो पुराने लेख भी आप जरूर पढ़िए |
भारत में बालविवाह एवं पर्दा प्रथा कब से ?
मैला ढोने अर्थात शौचालयों से मल को सर पर ढोकर उसे बस्ती के बाहर फेंकने की प्रथा कब से ?
इसी तरह कभी हमारे वीर राजाओं रानियों और सैनिकों को कायर बताया गया, कभी हमें यही पट्टी पढ़ाई गयी कि भारत सोने की चिड़िया उस समय बना था जबकि यह मुगलों का गुलाम था, कभी हिन्दुओं पर अत्याचार करने वाले क्रूर विदेशी लुटेरों को धर्म निरपेक्ष आदर्श अमनपसंद राजा की तरह पेश किया गया और इनसे भारत को आजाद कराने के लिए लड़ने वाले हमारे वीर क्रांतिकारी नायकों को लुटेरा या आतंकवादी साबित करने का प्रयास किया गया | मुगलों एवं अंग्रेजों ने इस देश को कई सालों तक गुलाम बनाकर रखा, हम पर अत्याचार किये, हमारे देश को लूटा परन्तु उनको इस देश में कई क्षेत्रों में महान साबित कर दिया गया, आज भी उनमें से कई लोगों के नाम पर सड़कें हैं, इमारतें हैं, शहरों के नाम हैं | और उनके खिलाफ क्रांति करने वाले राजाओं को आज तक वो सम्मान नहीं मिला जो उनको मिलना चाहिए था | चाहे वो टीपू सुलतान पर बना वो धारावाहिक हो जिसमें उसे एक आदर्श धर्मनिरपेक्ष महान क्रांतिकारी राजा दिखाया गया, या फिर जोधा अकबर फिल्म हो जिसमें अकबर को एक महान धर्मनिरपेक्ष राजा दिखाया गया, या बाजीराव मस्तानी फिल्म हो जिसमें एक महान वीर हिन्दू राजा बाजीराव की वीरता दिखाने के स्थान पर उन्हें एक कमजोर आशिक बताने पर ज्यादा ध्यान दिया गया हो, या ये नयी फिल्म पद्मावती हो जिसमें एक महान हिन्दू वीरांगना रानी को विदेशी क्रूर लुटेरे खिलजी की प्रेमिका बताया जा रहा है या अकबर की अच्छी छवि बनाने की नियत से लिखी गयी अकबर बीरबल की झूठी मनोरंजक कहानियाँ हों, या हिन्दू धर्म का उपहास करने वाली पीके फिल्म हो या फिर ऐसी और कई फिल्में और लेखन, सबमें यही काम किया गया जिस से कि हिन्दू अपनी संस्कृति और पहचान को हीन भावना से देखें, उस से दूर हों और हिन्दू विरोधियों को ही अपना आदर्श मान ले |
यदि सच में ये लेखक और फिल्मकार सिर्फ मनोरंजन के लिए ऐसा करते हैं तो सिर्फ हिन्दू धर्म और इतिहास का ही अपमान क्यों किया जाता है, बाकी धर्मों के इतिहास का भी इसी तरह मजाक क्यों नहीं बनाया जाता | आप ही बताइये कि आपको कितनी ऐसी भारतीय फिल्म या लेखन याद हैं जिसमें इस्लाम और ईसाई धर्म एवं इनके इतिहास का अपमान किया गया हो ? जो कुछ गिनी चुनी बनीं भी तो उनको सेकुलरिज्म के नाम पर तुरंत तत्कालीन सरकारों द्वारा बैन कर दिया गया और उस समय किसी को अभिव्यक्ति की आजादी और मनोरंजन के लिए की जाने वाली तथाकथित रचनात्मकता का ख्याल नहीं आया | बस हिन्दू धर्म को कितनी भी गाली दो, उसका कितना भी अपमान करो, उसके इतिहास के साथ कितनी भी छेड़छाड़ करो वो सब इस देश में कभी बैन नहीं होगा | यह एकतरफा हिन्दू विरोध संयोग नहीं बल्कि सोची समझी साजिश है हमें आपस में लड़वाने, फूट डालने, हमारा धर्म परिवर्तन करने, हमारा अपमान करने, हमारी भावनाओं का मजाक उड़ाने एवं हमें कमजोर करके हम पर राज करने और हमें खत्म करने की |
बात सिर्फ हमारे इतिहास से छेड़छाड़ की भी नहीं है, हमारे आराध्यों को काल्पनिक कहा जाता है, हमारे त्योहारों पर सवाल उठाये जाते हैं और उनके मनाये जाने का विरोध होता है, हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं की निर्मम हत्या कर दी जाती है ताकि हिन्दू संगठन कमजोर हों, सेक्युलर सरकारों में कभी मंदिर की घंटियों और भजनों पर बैन लगा दिया जाता है तो कभी त्योहारों के मनाये जाने पर, हिन्दू विरोधी दंगों में भी सजा सिर्फ हिन्दुओं को ही होती है | इस देश में गोधरा कांड आज भी एक मामूली सी ऐसी घटना मानी जाती है जिसका जिक्र भी नहीं किया जाता परन्तु उसके बाद हुए दंगे इस देश की आजादी के बाद हुई सबसे बड़ी दुर्घटना कही जाती है | इस्लामिक आतंकवाद पर “आतंक का धर्म नहीं होता” कहने वाले बेशर्म लोग बिना सबूत के ही “हिन्दू आतंकवाद होता है” यह साबित करते हुए पाए जाते हैं | यह सब उस देश में हो रहा है जहाँ हिन्दू आज भी बहुसंख्यक हैं और यह इस देश के हिन्दुओं के लिए शर्म और आत्मचिंतन की बात है |
फिल्मी और लेखन का हिन्दू विरोधी यह झूठ पैसे खर्च करके हिन्दू भी खरीदते हैं और इन साजिशकर्ताओं को इनकी अगली साजिश के लिए खुद ही धन उपलब्ध करवाते हैं | इसको मैं हिन्दुओं की महामूर्खता ही कहूंगा | सभी हिन्दू साथियों से मेरा निवेदन है कि ऐसे झूठे लेखन, फिल्मों का विरोध करें और उनको खरीदना बंद करें | यदि हम यह झूठ खरीदना बंद कर देंगे तो इस से अपने आप धीरे धीरे ऐसे हिन्दू विरोधी साजिशकर्ताओं के हौसले पस्त होने शुरू हो जायेंगे | साथ ही इन साजिशकर्ताओं का बचाव करने वाले सेक्युलर जमात के नेताओं को वोट देना बंद कीजिये | रानी पद्मावती के नाम पर एक ऐसी ही नयी फिल्म आ रही है, इसका बहिस्कार कीजिये और कसम खाइये कि इस फिल्म के निर्माताओं, कलाकारों और फिल्म से जुड़े अन्य लोगों की भविष्य में कोई भी फिल्म नहीं देखेंगे | एक होकर रहिये, अपना असली गौरवशाली इतिहास जानिये और पढ़िए | हिन्दू यदि एकता के साथ रहेगा तो हमेशा सुरक्षित रहेगा, यह मत भूलिए कि हमें अपने ही देश के कुछ शहरों और राज्यों से पहले ही खत्म कर दिया गया है और कई जगहों पर खत्म किया जा रहा है | हिन्दुओं को अपना हित खुद ही समझना होगा, सीधा सिद्धांत बनाइये कि जो हिन्दू हित की बात करेगा वही देश पर राज करेगा | हमें किसी दूसरे धर्म से कोई समस्या नहीं है, उनको भी देश के संविधान के दायरे में रहकर अपने धर्म के पालन की पूरी आजादी होनी चाहिए परन्तु सेकुलरिज्म के नाम पर हिन्दुओं के खिलाफ हो रही साजिश का अंत भी होना चाहिए |