पहले एक दो मीडिया हाउस अचानक से दावा करते हैं कि डोकलाम के आस पास के क्षेत्रों में चीनी सेना ने काफी निर्माण कार्य एवं कब्ज़ा कर लिया है | इसके लिए कुछ फोटो शेयर की गयीं और दावा किया गया कि ये उस क्षेत्र की सेटलाइट फोटो हैं | फिर कांग्रेस ने एक प्रेस कांफ्रेंस की और सरकार से इस पर जवाब माँगा तथा कहा कि सरकार डोकलाम मुद्दे और चीन पर अपनी रणनीति बताये | जबकि सेना अध्यक्ष विपिन रावत जी इस मुद्दे पर यह साफ़ कर चुके हैं कि भारत के स्थिति उस क्षेत्र में मजबूत है, हमारी चीन पर नजर है और यदि चीन कोई गड़बड़ करने की कोशिश करता भी है तो हम हर स्थिति का मुंहतोड़ जवाब देने तैयार हैं |
पहली बात तो यह कि कांग्रेस एक पुराना राजनैतिक दल है और उसे अच्छे से पता है कि सेना और सरकार की रणनीति इस तरह से प्रेस कांफ्रेंस में नहीं पूछी और बताई जाती है | यदि कांग्रेस को इस विषय में कोई चिंता थी तो वो प्रधानमंत्री या रक्षा मंत्री के साथ चुपचाप मीटिंग कर सकते थे | अब क्या सरकार पहले प्रेस कांफ्रेंस कर के घोषणा करेगी कि वो इस तरह से चीन पाकिस्तान आदि दुश्मनों के खिलाफ तैयारियां कर रही है और उनको घेरने की कोशिश कर रही है | लेकिन लगता है कि कांग्रेस को इस मुद्दे पर चिंता नहीं थी बल्कि उनका उद्देश्य बस एक अविश्वास का माहौल बनाकर चुनावी फायदा उठाना था | पिछले लोकसभा चुनावों में ५६ इंच के सीने वाली बात उठी, उसके बाद जब जब भारत ने चीन या पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया तब तब भाजपा ने ५६ इंच के सीने का दम भरा और जब जब भारत पर कोई हमला हुआ तब तब कांग्रेस ने ५६ इंच वाली बात दुहरा कर सवाल पूछे कि कहाँ गया ५६ इंच | मतलब कि जिन मुद्दों पर विपक्ष को सरकार के साथ खड़ा होना चाहिए था उस हर मुद्दे को सरकार पर हमला करने और जनता के बीच यह सन्देश देने कि कोई ५६ इंच का सीना नहीं है, के लिए इस्तेमाल किया गया | सर्जिकल स्ट्राइक तक के सबूत मांग लिए गए | एक वीडियो में मणि शंकर ऐय्यर मोदी सरकार को गिराने के लिए पाकिस्तान से मदद मांगते नजर आये | राहुल गाँधी भी चीन दूतावास में मीटिंग करते पाए गए | पाकिस्तानी आतंकी हमलों को आर. एस. एस. की साजिश बताकर हिन्दू आतंकवाद का नारा बुलंद तो पिछली सरकार के समय ही किया जा चुका था |
यह कहते हुए अजीब सा लगता है लेकिन सत्य है कि जब जब भारत पर कोई दुश्मन हमला करता है तो विपक्ष अपना पूरा समय सरकार और ५६ इंच के सवाल जवाब में व्यस्त रहता है और असली मुद्दे के प्रति कोई गंभीरता नहीं दिखाता, अब तो ऐसा लगने लगा है कि भारत के दुश्मनों से ज्यादा विपक्षी भारत को हुए नुक्सान पर खुश होते हैं | कुछ भाजपा विरोधियों का तो यह हाल है कि शायद वो सिर्फ इसी इन्तजार में रहते हैं कि कब कोई दुश्मन भारत पर जोरदार हमला करे ताकि उनको सरकार को घेरने का मुद्दा मिले | भारत में आतंकवाद पाकिस्तान और चीन से निर्यात होता है यह तो सभी को पता है, लेकिन अब इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि कहीं कोई मोदी जी की छवि खराब कर के चुनाव हराने की नियत से आतंकवाद आयात तो नहीं कर रहा |
यह देशविरोधी और गैर-जिम्मेदाराना और देशविरोधी गन्दी राजनीति बंद की जानी चाहिए | राजनैतिक दलों को समझना चाहिए कि देश चुनाव से बड़ा है | चुनाव तो हर ५ साल में होने हैं | साथ ही जनता को भी राजनैतिक दलों की करतूतों पर नजर रखनी चाहिए और जो राजनैतिक दल देशहित से पहले चुनाव को रखे उसे वोट न देकर सत्ता से दूर ही रखना चाहिए |